आओ,एक पथ के पथिक-से आओ,एक पथ के पथिक-से
बोले विष्णु, "नारद जी, आवश्यक दूसरा एक काम आया है तुम्हें छोड़कर कोई और नहीं कर सकता। बोले विष्णु, "नारद जी, आवश्यक दूसरा एक काम आया है तुम्हें छोड़कर कोई और ...
खुले केश अशेष शोभा भर रहे खुले केश अशेष शोभा भर रहे
फिर वही पहले के से वार हुए फिर वही पहले के से वार हुए
मुसका दी, आभा ला दी मुसका दी, आभा ला दी
आह! कितने विकल-जन-मन मिल चुके; आह! कितने विकल-जन-मन मिल चुके;